ग्लोबल साउथ देशों में कार्बन उत्सर्जन के परिदृश्य: चुनौतियाँ, अवसर और सतत विकास की दिशा में रणनीतियाँ
DOI:
https://doi.org/10.48165/pimrj.2025.2.1.5Keywords:
ग्लोबल साउथ, कार्बन उत्सर्जन, सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा नीति, विकासशील देशAbstract
ग्लोबल साउथ, जिसमें विकासशील और नवोदित अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं, जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह शोध लेख ग्लोबल साउथ देशों में कार्बन उत्सर्जन के परिदृश्य का विश्लेषण करता है, जिसमें सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय कारकों पर चर्चा की गई है। लेख में कार्बन उत्सर्जन के प्रमुख स्रोतों, विकासशील देशों की ऊर्जा आवश्यकताओं, और उनके विकासात्मक लक्ष्यों और सतत विकास के बीच संतुलन की चुनौतियों को रेखांकित किया गया है। साथ ही, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इन देशों द्वारा अपनाई जा रही नीतियों और तकनीकी समाधानों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें कार्बन उत्सर्जन में कमी के प्रयासों, नवीकरणीय ऊर्जा की संभावनाओं और वैश्विक वित्तीय सहयोग की आवश्यकता पर चर्चा की गई है। शोध में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ग्लोबल साउथ के विकास की दिशा में प्रभावी रणनीतियाँ न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में भी महत्वपूर्ण हैं।References
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